वानी

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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 31

ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 31

                    दीपक का शक


अब तक आपने पढ़ा ज्योति खुद को बेकसूर साबित कर लेती है..और मिशन भी हासिल कर लेती है...दिल्ली रेल्वे स्टेशन पर ज्योति की मुलाकात यश से होती है और दोनो की सीट आमने सामने होती है जिसे देख ज्योति को शक होता है... 

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"अब आगे"

"दिल्ली अरमान का घर"

सुबह 8 बजे के करीब अरमान की आँख खुलती है... अरमान अंगड़ाई लेते हुए कहता है "कितने दिन के बाद आज अच्छी नींद आई हाय " 
अरमान रेडी होता है और आराम से बैठ कर टी वी देखने लगता है अचनाक उसे कुछ याद आता है और वो एक नंबर डाइल करता है.. कुछ रिंग्स के बाद फोन के दूसरी तरफ से एक प्यारी सी आवाज़ आती है "हेल्लो मै निर्जला रॉय बोल रही हूँ क्या मै जान सकती हूँ आपको किस्से बात करनी है"
अरमान उस आवाज़ को सुन मुस्कुरा देता है फिर थोड़ा सीरियस होते हुए कहता है "हेलो मिस रॉय मै इनकम टैक्स ऑफिस से बोल रहा हूँ क्या मै जान सकता हूँ आप इस वक़्त कहाँ से बोल रही हैं" 
अरमान की आवाज़ सुन निर्जला एक दम से खामोश हो जाती है फिर शरारती लहजे मे केहती है "मै नासा से बोल रही हूँ  और कुछ ही देर मे मेरा रॉकेट उडान भरने वाला है"

निर्जला की बात सुन अरमान अजीब से शकल बनाते हुए कहता है "नासा...आप नासा कब गइ आप तो पंजाब मे थी ना" 
अरमान की बात सुन निर्जला को हसी आ जाती है निर्जला खुद को कंट्रोल करती है और थोड़ा सीरियस होने की कोशिश करते हुए केहती है "वैसे ही जैसे आप आर्मी छोड़ कर इनकम टैक्स ऑफिस पहुँच गए"

अरमान अपनी बेवकूफी पर हस्ते हुए कहता है "अच्छा तो आपने पहचान लिया" निर्जला मुस्कुराती हुई केहती है "आप भूल रहे हैं मिस्टर अरमान मै एक पुलिस ऑफिसर हूँ"
अरमान मुस्कराते हुए कहता है "मै कैसे भूल सकता हूँ... एक खूबसूरत और इंटेलिजेंट पुलिस ऑफिसर को"
अरमान कि इस बात पर निर्जला मुस्कुरा देती है कुछ देर के लिए दोनों के बीच एक खामोशी सी आ जाती है...अरमान उस खामोशी को तोड़ते हुए कहता है "वैसे....अगर आप फ्री हैं तो हम मिल सकते हैं"...अरमान को इतना स्ट्रेट फॉरवर्ड देख निर्जला कुछ देर खामोश रहती है फिर कहती है 
"शहरों के फासले इतनी आसानी से पूरे नहीं होते" निर्जला की बात पर अरमान हंसते हुए कहता है "अगर दिलों के फासले कम हो जाए तो शहरों के फासले मायने नहीं रखते.....मैं आपको टाइम और जगह मैसेज कर दूंगा आपका इंतजार रहेगा" इतना कहकर अरमान कॉल कट कर देता है निर्जला अरमान की बात पर दंग रह जाती है और अपने फोन को देखते हुए कहती है "यह आर्मी वाले कुछ ज्यादा ही जल्दी में रहते हैं" और मुस्कुरा देती है

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"केरला विराज का घर"

विराज की सुबह 10:00 बजे नींद खुलती है विराज बेड पर बैठे सामने लगे घड़ी को घूरते हुए कहता है "दुनिया में सब कुछ रुक सकता है लेकिन यह समय इसका कोई कुछ नहीं कर सकता"..और फ्रेश होने चला जाता है थोड़ी देर मे विराज फ्रेश होकर बाहर आता है तभी उसके फोन पर एक नोटिफिकेशन आता है विराज उस नोटिफिकेशन को देखकर खुश होते हुए कहता है "बस कुछ दिन और उसके बाद में पता लगा कर रहूंगा कि तुमने आर्मी जॉइन की क्यों"
फिर तैयार होकर पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाता है.. 

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"पटना"

ज्योति की ट्रेन को पटना पहुँचते शाम होगई थी ट्रेन से उतरकर ज्योति यश को देखती है और केहती है.. "अगर तुम्हारे दोस्त की शादी नही होती तो मै तुम्हे अपने भाई की शादी मे ज़रूर इनवाईट करती"
यश मुस्कुराकर कहता है... 

पता नहीं क्यों पर तुझे महसूस करते करते
 
तुझी जैसे बन रहे है हम✨

वैसे तो कोई नहीं बन सकता तुम्हारे किरदार
जैसा 

पर सुना है मोहोबत में हुकूमत बहुत होती है💞

अब देखना बस यह है कि हम तेरे जैसे बनते है

या तुझे अपना सा बना लेते है 🥰

ज्योति कंफ्यूज होते हुए पूछती है "कहना क्या चाहते हो" यश ज्योति की आँखो मे देखते हुए कहता है.. 

"मेरे शब्दों के अर्थ बहुत हैं
मैंने जिस मकसद से कहा
वो मकसद बहुत हैं
मत कोशिश कर मेरे शब्दों
को समझने की 
तु जो समझे बस वही अर्थ
बहुत हैं"

ज्योति इरीटेट होते हुए केहती है "तुम सच मे पागल हो मुझे नही बात करनी बाय" इतना केहकर ज्योति वहाँ से चली जाती है 
यश उसे बस जाते हुए देखता रहता है फिर खुद भी वहाँ से चला जाता है.... 
ज्योति जैसे ही टेक्सी मे बैठती है उसके पास आर्या का कॉल आता है ज्योति कॉल पिक करते ही केहती है "जय हिंद मिश्रा जी" 
आर्या कहता "जय हिंद पांडेय जी ..कैसी हो और ठीक से पहुँच गई ना" 
ज्योति मुस्कुरा कर केहती है "ठीक हूँ और अभी जस्ट पहुंची हूँ.. आप बताइये कैसे याद किया" आर्या थोड़ा सीरियस होते हुए कहता है.. "देवांश अंडरग्राउंड हो गया है" 
ज्योति तिरछी मुस्कान के साथ केहती है "अभी तो मैने कुछ किया भी नहीं है और अभी से छुप रहा है"

आर्या सीरियस होते हुए कहता है "तुम उसे हल्के मे ले रही हो वो देवांश है..को.. "
ज्योति आर्या की बात काटते हुए केहती है "हाँ जानती हु कोई मामूली गुंडा नही है.. लेकिन है तो इंसान ही.. तुम्हे और कुछ बताना है"

आर्या कहता है "हाँ कबीर के बारे मे.. कबीर कैनेडा ड्रग डीलिंग के लिए गया था....कोई बहुत बड़ी साज़िश को अंजाम देने की तैयारी कर रहे हैं देवांश और कबीर... देवांश तो एक इंटरनेशनल गैंगस्टर है....और कबीर बिज़नेस टाईकुन और उसके खिलाफ जाना हमारे लिए सही नही है"

ज्योति व्यंग भरी मुस्कान के साथ केहती है "क्या बोर्डर पर लड़ने से, अपनी जान दाव पर लगाने से, ज़ादा मुश्किल है कबीर के खिलाफ जाना.. वो भी तब जब हमे मालूम है वो किस हद तक जा सकता है.. लेकिन बोर्डर पर हमे ये मालूम भी नही होता की कौन कब कहाँ से हमला कर सकता है... आपसे बेहतर तो ये कोई भी नही बता सकता....क्यों कुछ गलत कह रही हूँ क्या मिश्रा जी "

आर्या अपनी राइट हैंड की बाजू को सहलाते हुए कहता है "आगे क्या करना है" ज्योति खुश होते हुए केहती है "ये अच्छा सवाल था.. रात को 12 बजे मीटिंग करते हैं.. अरमान को इंफोर्म कर देना तब तक के लिए ओवर एन आउट"

इतना केहकर ज्योति कॉल कट कर देती है... थोड़ी देर मे ज्योति घर पहुंचती है और सबसे पहले जाकर अपनी मां के गले लग जाती है उमा जी ज्योति को गले लगाते हुए कहती है .."हो गई घुमाई अब शादी होने तक कहीं जाने के लिए मत कहना...बहुत सारा काम है और कैसी रही ट्रिप"
 ज्योति मुस्कुराते हुए कहती है "नहीं मां अब कहीं नहीं जाना अब तो शादी की तैयारी करनी है...मैं चेंज करके आती हूं" इतना कहकर ज्योति अपने कमरे में चली जाती है और थोड़ी देर बाद तैयार होकर अपनी मां का काम में हाथ बटाने लगती है.... 

पूरा दिन यूं ही भी बीत जाता है  शाम को डिनर करते टाइम ज्योति के पापा पूछते हैं "और ट्रिप कैसी रही"..ज्योति कहती है "अच्छी थी" तभी ज्योति के बड़े भैया दीपक कहते हैं "तो फिर फोटोस कब दिखा रही है"

दीपक की बात सुन ज्योति को खांसी आने लगती है...उमा जी ज्योति को पानी देती है और उसकी पीठ सेहलाते हुए कहती है "इतनी जल्दी तुझे किस बात की रहती है...आराम से खाया कर" फिर दीपक को डांटते हुए कहती है "तु यह अपने सारे सवाल जवाब बाद में नहीं कर सकता है...कम से कम शांति से खाना तो खा लेने दिया कर"
 दीपक मुंह बनाते हुए कहता है "मां मैंने क्या किया मैं तो बस फोटोस के लिए ही बोल रहा था"
उमा जी नाराज होते वह कहती है "बाद में पूछ लेना अभी शांति से खाना खाओ".... दीपक ज्योति को शक भरी नज़रों से देख रहा था ज्योति सब समझ रही थी लेकिन इग्नोर कर देती है

थोड़ी देर मे सब खाना खाकर सोने चले जाते हैं ज्योति जैसे हि उपर अपने कमरे मे जाने लगती है उसे दीपक की आवाज़ आती है जो कह रहा था "सच सच बता कहाँ गई थी झूठ बोलने की कोशिश भी मत करना"..... 

कहाँ गया देवांश  ? कबीर को कैसे रोकेगी ज्योति? क्या ज्योति दीपक को सच बताएगी? जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी ब्लेक बेंगल्स

                   .......... बाय बाय......

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3 Comments

madhura

11-Aug-2023 07:10 AM

Nice part

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Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 01:04 PM

Nice 👍🏼

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Gunjan Kamal

29-Jan-2023 11:32 AM

शानदार भाग

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